
मुस्तफा हैं लाजवाब
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टाइटल : निकली है सुन्नी की रैली चलिये शहरे बरेली
श्रेणी (कटेगरी) : नात के बोल (लीरिक्स)
लेखक/गीतकार : सज्जाद निज़ामी (मरहूम)
नातख्वान/कलाकार: सज्जाद निज़ामी (मरहूम)
जोड़ा गया : 26 Sep, 2022 02:39 PM IST
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निकली है सुन्नी की रैली, चलिये शहरे बरेली
दरबार उनका है मिसले जन्नत, अल्लाह ताला रखे सलामत
अहमद राज़ा की हवेली, चलिये शहरे बरेली
निकली है सुन्नी की रैली, चलिये शहरे बरेली
यह है तमन्ना मैं फिर से पहुँचू
अख्तर रज़ा की हवेली, चलिये शहरे बरेली
यह है तमन्ना मैं फिर से पहुँचू, बड़ बड़कर चूमू
अख्तर रज़ा की हथेली, चलिये शहरे बरेली
निकली है सुन्नी की रैली, चलिये शहरे बरेली
आए काश होता मैं एक परिंदा, शहरे बरेली का चक्कर लगाता
जाता सुबह ओ शाम डेली, चलिये शहरे बरेली
निकली है सुन्नी की रैली, चलिये शहरे बरेली