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अंगना मा आक़ा तोहरे नूर बरसे/घर घर उजाला बा तोहरे घर से

(घर घर उजाला बा तोहरे घर सेघर घर उजाला बा तोहरे घर से, अंगना मा आक़ा तोहरे नूर बरसे)


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टाइटल : घर घर उजाला बा तोहरे घर से

श्रेणी (कटेगरी) : नात के बोल (लीरिक्स)

लेखक/गीतकार : शमीम रज़ा फ़ैज़ी

नातख्वान/कलाकार: शमीम रज़ा फ़ैज़ी

जोड़ा गया : 14 May, 2022 09:37 AM IST

बार देखा गया : 2.3K

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घर घर उजाला बा तोहरे घर से
अंगना मा आक़ा तोहरे नूर बरसे

आक़ा क़यामत की गर्मी पड़त बा
आक़ा क़यामत की गर्मी पड़त बा
धूप से सारा वदन बा जलत बा

चादर हटैईयो ना मोरे सर से
अंगना मा आक़ा तोहरे नूर बरसे

ग़ार सौर में जब बन्द भैलन सुरख़वा
डस कर के सिद्दीक़ से कहे लगल सपवा

चरन हटावा आक़ा नैना तरसे
अंगना मा आक़ा तोहरे नूर बरसे

जाईके मदीने में कहना बयरईया
अब तो बुला लो आक़ा तयबा नगरिया
अब मोरी अंखियां से सावन बरसे
अंगना मा आक़ा तोहरे नूर बरसे

घर घर उजाला बा तोहरे घर से
अंगना मा आक़ा तोहरे नूर बरसे

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