
मुस्तफा हैं लाजवाब
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टाइटल : नाना के लाड़ प्यार का ऐसा सिला दिया
श्रेणी (कटेगरी) : नात के बोल (लीरिक्स)
लेखक/गीतकार : ताहिर रज़ा रामपुरी
नातख्वान/कलाकार: ताहिर रज़ा रामपुरी
जोड़ा गया : 26 Sep, 2022 03:00 PM IST
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नाना के लाड़ प्यार का ऐसा सिला दिया
गर्दन कटा के दीन का रुतबा बढ़ा दिया।
देकर लहू का एक-एक क़तरा हुसैन ने
कर्बो बला के ज़र्रों को तारा बना दिया।
नाना के लाड़ प्यार का ऐसा सिला दिया
गर्दन कटा के दीन का रुतबा बढ़ा दिया।
क्यों आक़िबत का तुझको न आया ज़रा ख्याल
क्या सोंच के हुसैन पे खंजर चला दिया।
नाना के लाड़ प्यार का ऐसा सिला दिया
गर्दन कटा के दीन का रुतबा बढ़ा दिया।
प्यारे नबी के दीन पर ज़ैनब ने क़ीमती
अपना अजी़ज़े जान वो हीरा लुटा दिया।
नाना के लाड़ प्यार का ऐसा सिला दिया
गर्दन कटा के दीन का रुतबा बढ़ा दिया।
ताहिर सलाम करता है अपने हुसैन को
दीने नबी के वासते सब कुछ लुटा दिया।
नाना के लाड़ प्यार का ऐसा सिला दिया
गर्दन कटा के दीन का रुतबा बढ़ा दिया।