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मेरा सोया मुकद्दर जगा दीजिए/दिल का अरमान है आरज़ू है यही

(दिल का अरमान है आरज़ू है यहीमेरा सोया मुकद्दर जगा दीजिए)


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टाइटल : दिल का अरमान है आरज़ू है यही

श्रेणी (कटेगरी) : नात के बोल (लीरिक्स)

लेखक/गीतकार : शमीम रज़ा फ़ैज़ी

नातख्वान/कलाकार: शमीम रज़ा फ़ैज़ी

जोड़ा गया : 10 Nov, 2022 01:50 PM IST

बार देखा गया : 797

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दिल का अरमान है आरज़ू है यही,
मेरा सीना मदीना बना दीजिए,
दिल का अरमान है आरज़ू है यही,
मेरा सोया मुकद्दर जगा दीजिए,
मर ना जाऊँ कही खातमूल-मुरसलीन,
सब्ज़ गुम्बद किसी दिन दिखा दीजिए

प्यार से बोले एक दिन यह ज़हरा के लाल,
सुनिए एक बात मेरी ऐ प्यारे बेलाल,
जो सुनाते  रहे नाना जान को मेरे,
वो अज़ान आज फिर से सुना दीजिए

दिल का अरमान है आरज़ू है यही,
मेरा सोया मुकद्दर जगा दीजिए

जो भी मुर्दा कहे मेरे सरकार को,
छोड़िए ना किसी ऐसे गद्दार को,
चड़ के सीने पे उसके मेरे दोस्तों,
दोनों हाथों से गर्दन दबा दीजिए

दिल का अरमान है आरज़ू है यही,
मेरा सोया मुकद्दर जगा दीजिए

सुन्नियत का चमन ले लहाने लगे,
नज़दियत का किला थर थराने लगे,
मसलक-ऐ-आलहज़रत का सुनिए शमीम,
एक पुरज़ोर नरा लगा दीजिए

दिल का अरमान है आरज़ू है यही,
मेरा सोया मुकद्दर जगा दीजिए

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