
मुस्तफा हैं लाजवाब
- 3 महीने पहले fiber_manual_record 236 बार देखा गया
टाइटल : Ummat Ka Gum Hai Kya Koi Puche Huzoor Se
श्रेणी (कटेगरी) : नात के बोल (लीरिक्स)
लेखक/गीतकार : अख्तर रज़ा खान अज़हरी असद इक़बाल कलकत्तावी
नातख्वान/कलाकार: असद इक़बाल कलकत्तावी
जोड़ा गया : 04 Jul, 2022 07:17 AM IST
बार देखा गया : 4.1K बार डाउनलोड हुआ : 112
translate बोल (लीरिक्स) की भाषा चुनें:
उम्मत का गम है क्या कोई पूछे हुज़ूर से (x2)
आँसू छलक छलक पड़े चसमाने नूर से
इफ्तार कर रहे है मदीने मे मुस्तफा (x2)
पानी से या नामक से या अजवा खुज़ूर से (x2)
आँसू छलक छलक पड़े चषमाने नूर से
जिबरील कह रहे है फरिश्तों की बज़्म मे (x2)
प्यार मेरा बेलाल है जन्नत की हूर से
जिबरील कह रहे है फरिश्तों की बज़्म मे (x2)
कितना हसीन बेलाल है जन्नत की हूर से
इस वास्ते ज़कात को लाज़िम किया गया (x2)
मुफलिश के घर मे रोशनी पहुचे जरूर से (x2)
आँसू छलक छलक पड़े चषमाने नूर से
दुश्मन भी चेहरा देखे तो वो भी यही कहे (x2)
अख्तर चमक रहा है अंधेरे मे नूर से
लोकप्रिय टैग:
asad iqbal naatasad iqbal ki naatasad iqbalummat ka gam hai kya koi puche huzoor seummat ka gam hai kya koi puche huzoor se naatummat ka gam hai kya koi puche huzoor se asad iqbalummat ka gam hai kya koi puche huzoor se lyricsasad iqbal naat sharifnaat lyrics in englishnaat lyrics in hindinaat lyrics in urdu