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शब गुज़रने वाली है दिन निकलने वाला है/मुस्तफ़ा की आमद का वक़्त क्या निराला है

(मुस्तफ़ा की आमद का वक़्त क्या निराला हैशब गुज़रने वाली है दिन निकलने वाला है)


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टाइटल : मुस्तफ़ा की आमद का वक़्त क्या निराला है

श्रेणी (कटेगरी) : नात के बोल (लीरिक्स)

लेखक/गीतकार : असद इक़बाल कलकत्तावी

नातख्वान/कलाकार: असद इक़बाल कलकत्तावी

जोड़ा गया : 26 Sep, 2022 02:18 PM IST

बार देखा गया : 1K

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मुस्तफ़ा की आमद का वक़्त क्या निराला है
शब गुज़रने वाली है दिन निकलने वाला है

आसमान भी जिस दर पे सर झुकाने वाला है
मुस्तफा की चौखट का मरतबा निराला है

खाके पाए आका को मल के अपने चेहरे पर
रब को मुंह दिखाने का रास्ता निकाला है

मुस्तफ़ा की आमद का वक़्त क्या निराला है

उसको छू नहीं सकतीं ज़हमतें ज़माने की
जिसको मेरे आक़ा की रह़मतों ने पाला है

आसमां की ऊंचाई उसको पा नहीं सकती
जिसको मेरे आका के इश्क़ ने उछाला है

मुस्तफ़ा की आमद का वक़्त क्या निराला है

हज़रतों के हज़रत भी देख कर यही बोले
मेरे आला हज़रत का मरतबा निराला है

उनके पांव का धोवन चांद में सितारों में
रंग-ओ-रोगने जन्नत आपका गुसाला है

मुस्तफ़ा की आमद का वक़्त क्या निराला है

दुश्मनाने आक़ा तो जाएंगे जहन्नम में
आशिकों की क़िस्मत में जन्नती निवाला है

मुस्तफ़ा की आमद का वक़्त क्या निराला है
शब गुज़रने वाली है दिन निकलने वाला है

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