
मुस्तफा हैं लाजवाब
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टाइटल : हर देस में गूंजेगा अब या रसूल अल्लाह
श्रेणी (कटेगरी) : नात के बोल (लीरिक्स)
लेखक/गीतकार : अल्लामा निसार अली उजागर
नातख्वान/कलाकार: हाफ़िज़ ताहिर क़ादरी
जोड़ा गया : 05 May, 2022 03:08 PM IST
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हम सर पे कफ़न बांधे मैदान में निकले हैं
बातिल के महलों को हम ढाने निकले हैं
हिम्मत है हमें टोको, दम है तो हमें रोको
हम नार ए रिसालत को फैलाने निकले हैं
हर देस में गूंजेगा अब या रसूल अल्लाह
हर शक्स पुकारेगा अब या रसूल अल्लाह
हम सारी दुनिया में हलचल सी मचा देंगे
सरकार के आशिक हैं रंग अपना जमा देंगे
मिलाद ए नबी करना ये खून में शामिल है
इस मिशन की खातिर हम दिन रात लगा देंगे
सरकार की नातों से पुर जोश है दीवाने
मिलाद की महफ़िल में महोल बना देंगे
क्यों करना मनायें हम ये सुन्नी शकाफ़त है
मिलाद मनाने पर सरकार जगा देंगे
सौदा ना करेंगे हम ईमान ना बेचेंगे
नामुस ए रिसालत पर दुनिया को हिला देंगे
हर नसल का नारा है हर क़ौम का नारा है
इस नारे से लोगों को आपस में मिला देंगे
इस्लाम जो मज़हब है पेग़म ए मोहब्बत है
इस अमन के परचम को हर घर में जगा देंगे
सरकार की इज़्ज़त पर मरना है हमें लोगों
ये वादा हमारा है सब कुछ ही लुटा देंगे
हम ने यही ठनी है मन्नत यही मानी है
इस देश की मिट्टी पर खून अपना बहा देंगे
है आल ए नबी प्यारे असहाब सितारें हैं
दोनों की मोहब्बत को हम दिल में बसा देंगे
आये हैं उजागर संग अमजद ओ ताहिर भी
पेग़ाम ए नबी देंगे अहकाम ए ख़ुदा देंगे