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करबल के मैदान में जाता हूँ नाना/अलविदा तैबा को करता हूँ नाना

(अलविदा तैबा को करता हूँ नानाकरबल के मैदान में जाता हूँ नाना)


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टाइटल : अलविदा तैबा को करता हूँ नाना

श्रेणी (कटेगरी) : नात के बोल (लीरिक्स)

लेखक/गीतकार : नदीम रज़ा फ़ैज़ी

नातख्वान/कलाकार: नदीम रज़ा फ़ैज़ी

जोड़ा गया : 13 Oct, 2022 12:36 PM IST

बार देखा गया : 2.3K

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अलविदा तैबा को करता हूँ नाना,
करबल के मैदान में जाता हूँ नाना,
बचपन का वादा निभाता हूँ नाना

दीने नबी की खातिर सर को हम कटाएंगे,
मजहब ऐ इस्लाम का परचम हर सु हम लहरायेंगे,
बांधे कफन सर पे जाता हूँ नाना,
बचपन का वादा निभाता हूँ नाना

सहमा सहमा चंद ओ सूरज आसमा भी लगता है,
मैदाने करबल में आकर मेरा अकबर कहता है,
सब कुछ तुम्ही पे लूटाता हूँ नाना,
बचपन का वादा निभाता हूँ नाना

आले नबी की क्या है शान हम बताएंगे,
नामे यज़िदियत इस दुनिया से मिटाएंगे,
लेईनों की हशती को हम तो मिटाएंगे,
बातिल के आगे हरगिज न सर को झुकाएंगे,
राहे खुद में सर कटाता हूँ नाना,
बचपन का वादा निभाता हूँ नाना

अलविदा तैबा को करता हूँ नाना,
करबल के मैदान में जाता हूँ नाना

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