search
लॉग इन

किस लब पे क्या दुआ है सरकार जानते हैं/Kis Lab Pe Kya Dua Hai Sarkar Jante Hain Lyrics In Hindi

(Kis Lab Pe Kya Dua Hai Sarkar Jante Hain lyrics in Hindi, किस लब पे क्या दुआ है सरकार जानते हैं - Kis Lab Pe Kya Dua Hai Sarkar Jante Hain lyrics - Sarkar jante hain)


Written By

avatar
  • Editors Desk
  • Addednot available
  • visibilityबार देखा गया
  • comment टिप्पणियाँ
  • thumb_up0 likes
  • shareशेयर
...

टाइटल : Kis Lab Pe Kya Dua Hai Sarkar Jante Hain

श्रेणी (कटेगरी) : नात के बोल (लीरिक्स)

जोड़ा गया : 28 Dec, 2023 08:06 AM IST

बार देखा गया : 514 बार डाउनलोड हुआ : 47

translate बोल (लीरिक्स) की भाषा चुनें:

सरकार जानते हैं, सरकार जानते हैं
सरकार जानते हैं, सरकार जानते हैं

किस लब पे क्या दु'आ है, सरकार जानते हैं
किस के दिलों में क्या है, सरकार जानते हैं

किस लब पे क्या सदा है, सरकार जानते हैं
साइल के दिल में क्या है, सरकार जानते हैं

सरकार जानते हैं, सरकार जानते हैं
सरकार जानते हैं, सरकार जानते हैं

मुर्दा है या कि ज़िंदा, बच्ची है या कि बच्चा
जो ग़ैब की ख़बर दे वो हैं हमारे आक़ा
किस को भला ख़बर है, मजबूर हर बशर है
माँ के शिकम में क्या है, सरकार जानते हैं

सरकार जानते हैं, सरकार जानते हैं
सरकार जानते हैं, सरकार जानते हैं

शाख़-ए-खजूर ले कर क़ब्रों पे डालते हैं
मय्यत की हर सज़ा को पल भर में टालते हैं
मुर्दा है किस जगह का, इस का है माजरा क्या
क़ब्रों में हाल क्या है, सरकार जानते हैं

सरकार जानते हैं, सरकार जानते हैं
सरकार जानते हैं, सरकार जानते हैं

मे'राज का सफ़र है, सरकार जा रहे हैं
और ला-मकाँ पहुँच कर तशरीफ़ ला रहे हैं
मे'राज की हक़ीक़त ईमान है ये अपना
पर्दे में क्या रखा है, सरकार जानते हैं

सरकार जानते हैं, सरकार जानते हैं
सरकार जानते हैं, सरकार जानते हैं

सिदरा पे ले के पहुँचे, जिब्रील साथ छोड़े
मुझ को न कुछ पता है, कहते हैं हाथ जोड़े
आगे, हुज़ूर ! जाएँ, ये मेरी इंतिहा है
सिदरा के आगे क्या है, सरकार जानते हैं

सरकार जानते हैं, सरकार जानते हैं
सरकार जानते हैं, सरकार जानते हैं

कभी क़ाफ़ कह रहे हैं, कभी सॉद कह रहे हैं
कभी 'ऐन कह रहे हैं, कभी हा पे रह रहे हैं
जिब्रील कह रहे हैं, ये राज़ की हैं बातें
मा'ना मफ़्हूम क्या है, सरकार जानते हैं

सरकार जानते हैं, सरकार जानते हैं
सरकार जानते हैं, सरकार जानते हैं

शीशों के घर में रह कर पत्थर उछालते हैं
'उश्शाक़-ए-मुस्तफ़ा तो तक़दीर टालते हैं
हाँ, मीर ! रब है ख़ालिक़ और मुस्तफ़ा हैं मालिक
क़िस्मत में क्या लिखा है, सरकार जानते हैं

सरकार जानते हैं, सरकार जानते हैं
सरकार जानते हैं, सरकार जानते हैं

Was this page helpful?
शेयर: