
मुस्तफा हैं लाजवाब
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टाइटल : Haal E Dil Kis Ko Sunaaen Aap Ke Hote Hue
श्रेणी (कटेगरी) : नात के बोल (लीरिक्स)
लेखक/गीतकार : सैय्यद अल्ताफ शाह काज़मी
नातख्वान/कलाकार: विविध/अज्ञात
जोड़ा गया : 18 Apr, 2023 09:41 PM IST
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हाल-ए-दिल किस को सुनाएँ, आप के होते हुए
क्यूँ किसी के दर पे जाएँ, आप के होते हुए
हाल-ए-दिल किस को सुनाएँ, आप के होते हुए
मैं ग़ुलाम-ए-मुस्तफ़ा हूँ, ये मेरी पहचान है
ग़म मुझे क्यूँ-कर सताएँ, आप के होते हुए
हाल-ए-दिल किस को सुनाएँ, आप के होते हुए
अपना जीना, अपना मरना अब इसी चौखट पे है
हम कहाँ, सरकार ! जाएँ, आप के होते हुए
हाल-ए-दिल किस को सुनाएँ, आप के होते हुए
कह रहा है आप का रब 'अन्त फ़ीहिम' आप से
क्यूँ इन्हें मैं दूँ सज़ाएँ, आप के होते हुए
हाल-ए-दिल किस को सुनाएँ, आप के होते हुए
सामने है, ए 'अली के लाल ! उस्वा आप का
क्यूँ किसी का ख़ौफ़ खाएँ, आप के होते हुए
हाल-ए-दिल किस को सुनाएँ, आप के होते हुए
मैं ये कैसे मान जाऊँ ! शाम के दरबार में
छीन ले कोई रिदाएँ, आप के होते हुए
हाल-ए-दिल किस को सुनाएँ, आप के होते हुए
ये तो हो सकता नहीं ! ये बात मुमकिन ही नहीं !
मेरे घर आलाम आएँ, आप के होते हुए
हाल-ए-दिल किस को सुनाएँ, आप के होते हुए
कौन है, अल्ताफ़ ! अपना हाल-ए-दिल जिस से कहें
ज़ख़्म-ए-दिल किस को दिखाएँ, आप के होते हुए