
मुस्तफा हैं लाजवाब
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टाइटल : Dho Qalam Ko Mushq Se Phir Midhat E Sarkar Likh
श्रेणी (कटेगरी) : नात के बोल (लीरिक्स)
लेखक/गीतकार : हबीबुल्लाह फ़ैज़ी
नातख्वान/कलाकार: हबीबुल्लाह फ़ैज़ी
जोड़ा गया : 13 Jan, 2024 09:24 AM IST
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धो क़लम को मुश्क से फिर मिदहते सरकार लिख
नाम लिख इक बार सललल्ला को सौ बार लिख
मुस्त़फ़ा वल मुर्तज़ा वबना हुमा वल फ़ातिमा
हर बला टल जायेगी ये बरसरे दीवार लिख
मुस्त़फ़ा ने कौन सा हथियार उम्मत को दिया
जब ये कोई पूछ ले इख़लास की तलवार लिख
ये है शहर ए मुस्तफा इसका अदब से नाम ले
कहकशां को ज़र्रा और खालिस्तान को गुलज़ार लिख
मुख़्तसर ख़ुत्बा हो गर लिखना शहे नौ लाख़ का
सिम्टे तो मीमे मुह़़म्मद, फ़ैले तो संसार लिख
आख़िरी ख़्वहिश की गर त़फ़सील रिज़वां मांग ले
फ़ैज़ कह देगा नबी का शरवते दीदार लिख
दो जहां उसके हुए जो उनका दीवाना बना
उनके दीवानों को मत दीवाना लिख हुशियार लिख
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