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जिसके कदमों तले है ज़माना वो है मौला अली का घराना/अल्लाह अल्लाह वो हुसैन मुस्तफा का नूर ऐ अऐन

(अल्लाह अल्लाह वो हुसैन मुस्तफा का नूर ऐ अऐनजिसके कदमों तले है ज़माना वो है मौला अली का घराना)


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टाइटल : अल्लाह अल्लाह वो हुसैन मुस्तफा का नूर ऐ अऐन

श्रेणी (कटेगरी) : नात के बोल (लीरिक्स)

लेखक/गीतकार : मुबारक हुसैन मुबारक

नातख्वान/कलाकार: मुबारक हुसैन मुबारक

जोड़ा गया : 12 Oct, 2022 01:22 PM IST

बार देखा गया : 4.7K

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अल्लाह अल्लाह वो हुसैन मुस्तफा का नूर ऐ अऐन

सुए करबल हुआ जो रवाना,
वो है मौला अली का घराना

दिन के काफिले का वो सालार है,
घर का घर जो लूटाने को तय्यार है

लब पे कुरान है सर ज़ेरे तलवार है,
जन्नती नवजवानों का सरदार है

कितना आला है मकाम वो शहीदों का इमाम,
मालिके खुलद है जिसका नाना....

वो है मौला अली का घराना

अपने  नाना का वादा निभाने चला,
ज़ुल्म की आंधीयों को मिटाने चला

देके सर हाथ अपना बचाने चला,
चड़ के नेजे पे कुरान सुनाने चला

कैसी होगी उसकी शान जिसके नाना है सुल्तान,
जिसकी हर एक अदा फ़ातेहाना....

वो है मौला अली का घराना

ईद के दिन हुसैन और हसन ने कहा,
अम्मी जान आज हम दोनों पहनेगे क्या,
फातिमा रो पड़ी हुक्म रब का हुआ,
जोड़े जन्नत से लेके जिबरईल जा,
बागे जन्नत का है फूल वो नवासा ऐ रसूल,
कैसे पहनेगा का कपड़ा पुराना....

वो है मौला अली का घराना

लहलहाये न क्यूँ दिन का यह चमन,
इसको सींचे हुए है शाहे जुल्मनन,
फिर अली फातिमा और हुसैन ओ हसन,
वजह तखलिके आलम है यह पंजतन,
कितना आला है घरबार जिस पे दुनिया है निसार,
जिसके कदमों तले है ज़माना....

वो है मौला अली का घराना

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