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जो भी दुश्मन है मेरे रज़ा का जल रहा था जला है जलेगा/Jo Bhi Dushman Hai Mere Raza Ka Lyrics In Hindi
Written By

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Title : Jo Bhi Dushman Hai Mere Raza Ka

Category : Kalam Lyrics , Naat Lyrics ,

Writer/Lyricist : Various/Unknown ,

Naatkhwan/Artist : Asad Iqbal Kalkattavi ,

Added On : 22 Aug, 2023 07:04 PM IST

Views : 438

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जो भी दुश्मन है मेरे रज़ा का, जल रहा था जला है जलेगा,
मस्लक-ए-आला-हज़रत का नारा लग रहा है हमेशा लगेगा

बुग़्ज़-ओ-कीना का चश्मा लगा कर, नज़्दियों ने लिखा जो छुपा कर.
आम हज़रत से तो बच गया है, आला हज़रत से कैसे बचेगा

बाद-अज़ाँ जिस की दुनिया में शोहरत, है रज़ा का सलाम-ए-मोहब्बत,
मरहबा ! मुस्तफ़ा जान-ए-रहमत झूम कर उन का आशिक़ पढ़ेगा

वो रज़ा का घराना है... प्यारे, इल्म का कारख़ाना है... प्यारे,
उन के टकसाल में जो ढलेगा, इल्म का एक हिमालया बनेगा

मुस्तफ़ा की इनायत से... प्यारे,ग़ौस-ए-आज़म की बरकत से.. प्यारे,
अहल-ए-सुन्नत के बाज़ार में अब आला हज़रत का सिक्का चलेगा

इश्क़-ए-अहमद का मफ़्हूम क्या है ? नज़्दियो तुम को मालूम क्या है ?
आला हज़रत के पैकर में देखो, इश्क़-ए-अहमद का जल्वा मिलेगा

दूध माँगोगे हम खीर देंगे, वर्ना बाग़ी को हम चीर देंगे,
सुन्नियों से न ले कोई पंगा, वर्ना पंगा ये महँगा पड़ेगा

ग़ौस-ओ-ख़्वाजा की बेशक़ अता है, हिन्द में एक अहमद रज़ा है,
अहल-ए-सुन्नत का जो मुक़्तदा है, वो बरेली में तुम को मिलेगा

हाथ मलते रहें मलने वाले, लाख जलते रहें जलने वाले,
ग़ौस-ओ-ख़्वाजा के लुत्फ़-ओ-करम से आला हज़रत का डंका बजेगा

वो रज़ा के चमन का सितारा, अहल-ए-सुन्नत के दिल का उजाला
अख़्तर-ए-क़ादरी सब के दिल पर, राज करता है करता रहेगा

Featured Artist/Lyricist

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