Shan E Nabi

चमन चमन की दिल कशी/नबी नबी नबी नबी/Chaman Chaman Ki Dilkashi Gulo Ki Hai Woh Taazgi Lyrics In Hindi
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Title : Chaman Chaman Ki Dilkashi Gulo Ki Hai Woh Taazgi

Category : Naat Lyrics ,

Writer/Lyricist : Asad Iqbal Kalkattavi ,

Naatkhwan/Artist : Asad Iqbal Kalkattavi ,

Added On : 07 Jan, 2023

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चमन चमन की दिल कशी, गुलों की है वो ताज़गी
है चाँद जिन से शबनमी, वो कहकशाँ की रौशनी
फ़ज़ाओं की वो रागनी, हवाओं की वो नग़्मगी
है कितना प्यारा नाम भी

नबी नबी नबी नबी, नबी नबी नबी नबी

ये आमद-ए-बहार है, वो नूर की क़तार है
फ़ज़ा भी ख़ुशगवार है, हवा भी मुश्कबार है
हवा से मैंने जब कहा, ये कौन आ गया बता
हवा पुकारती चली

नबी नबी नबी नबी, नबी नबी नबी नबी

ज़मीं बनी ज़माँ बने, मकीं बने मकाँ बने
चुनी बने चुना बने, वो वज्ह-ए-कुन-फ़काँ बने
कहा जो मैंने, ए ख़ुदा ! ये किस के सदक़े में बना ?
तो रब ने भी कहा यही

नबी नबी नबी नबी, नबी नबी नबी नबी

जो सिदरा पर नबी गए, तो जिब्रईल बोले ये
ज़रा गया उधर परे, तो जल पढ़ेंगे पर मेरे
नबी ही आगे चल पड़े, वो सिदरा से निकल पड़े
ज़मीं पुकारती रही

नबी नबी नबी नबी, नबी नबी नबी नबी

वो हुस्न-ए-ला-ज़वाल है, वो इश्क़ बे-मिसाल है
जो चर्ख़ का हिलाल है, नबी का वो बिलाल है
बदन सुलगती रेत पर, कि थरथरा उठे हजर
ज़बाँ पे था मगर यही

नबी नबी नबी नबी, नबी नबी नबी नबी

चले जो क़त्ल को उमर, कहा किसी ने रोक कर
कहाँ चले हो और किधर, मिज़ाज क्यूँ है अर्श पर
ज़रा बहन की लो ख़बर, फ़िदा है वो रसूल पर
वो कह रही है हर घड़ी

नबी नबी नबी नबी, नबी नबी नबी नबी

उमर चले बहन के घर, ग़ज़ब में सोच सोच कर
उड़ाएँगे हम उन का सर, जो हैं नबी के दीन पर
सुना है जब क़ुरआन को, ख़ुदा के उस बयान को
उमर ने भी कहा यही

नबी नबी नबी नबी, नबी नबी नबी नबी

वो हिजरत-ए-रसूल है, फ़ज़ा-ए-दिल-मलूल है
क़दम क़दम बबूल है, क़ज़ा की ज़द में फूल है
अली की एक ज़ात है, कि तेग़ पर हयात है
अली के दिल में बस यही

नबी नबी नबी नबी, नबी नबी नबी नबी

वो इश्क़ का हुसूल है, वो सुन्नियत का फूल है
वो ऐसा बा-उसूल है कि आशिक़-ए-रसूल है
रज़ा से मैंने जब कहा, ये शान किस की है अता ?
रज़ा ने दी सदा यही

नबी नबी नबी नबी, नबी नबी नबी नबी

रज़ा का ये पयाम है, वज़ीफ़ा-ए-तमाम है
वही तो नेक नाम है, नबी का जो ग़ुलाम है
जो आशिक़-ए-नबी हुवा, ख़ुदा का वो वली हुवा
वही हुवा है जन्नती

नबी नबी नबी नबी, नबी नबी नबी नबी

मदीने की ज़मीं रहे, वो रौज़ा-ए-हसीं रहे
मज़ार-ए-शाह-ए-दीं रहे, ग़ुलाम की जबीं रहे
तो रूह निकले झूम के, दर-ए-नबी को चूम के
यही पुकारती हुई

नबी नबी नबी नबी, नबी नबी नबी नबी

वो जब समाँ हो हश्र का, हर एक शख़्स जा-ब-जा
अज़ाब में हो मुब्तला, कि यक-ब-यक उठे सदा
सरापा नूर आ गए, मेरे हुज़ूर आ गए
तो कह उठे ये उम्मती

नबी नबी नबी नबी, नबी नबी नबी नबी

थकी थकी रुकी रुकी, किसी तरह दबी-लची
हलीमा-बी की ऊँटनी, जो मक्के में पहुँच गई
थे सारे बच्चे जा चुके, जगह वो अपनी पा चुके
बचा था एक आख़री

नबी नबी नबी नबी, नबी नबी नबी नबी

वो रूह के तबीब से, असद ! कभी नसीब से
ख़ुदा के उस हबीब से, मिलोगे जब क़रीब से
नबी की एक ज़ात है, जो मंब-ए-हयात है
मिलेगी दाइमी ख़ुशी

नबी नबी नबी नबी, नबी नबी नबी नबी
नबी नबी नबी नबी, नबी नबी नबी नबी